बाढ़ की विभीषिका अनदेखा कहर है,
जीवन की धारा में दर्द भरा सागर है।
नदियाँ बेकाबू, गाँवों का विनाश करतीं,
प्रकृति का क्रोध है, सब पर प्रहार करतीं।
स्वाभिमान वह आभूषण है जो हर व्यक्ति को धारण करना चाहिए।
आओ एक मुहिम चलायें...
हिंदी को राष्ट्र भाषा का दर्जा दिलाएँ!
डॉ. अरुण प्रताप सिंह भदौरिया
चंद लफ्जों में लोग अपनी बात बता देते है,
एक पल में अपनी औकात दिखा देते हैं.
बिना सोचे ही इल्जाम लगा देते है,
पहले के अहसान सब भुला देते हैं.
@ डॉ. अरुण प्रताप सिंह भदौरिया
चलो कुछ चेहरों पर मुस्कुराहट लाते है.
इस बार नव वर्ष कुछ ऐसे मनाते हैं!
कुत्ता वफादार होता है.
उसे इंसानों से बहुत प्यार होता है!
हो सके तो किसी की आँख का आंसू चुरा लेना!
खुशी देकर उसे अपना बना लेना