यूं ही चले थे हम सफर में, ना जाने कब हमसफ़र बन गए
की अब तुझ बिन ना रहा मेरा सफर और ना सफरनामा
तस्वीर से तेरी, तेरे होने का एहसास करते है
कमी ना हो तेरी, तो उसी से हर मर्तबा बात करते है
नम्म ज़रूर होजाती है आंखें, मन्न भी परेशान होता है
लब्ज बयां ना कर सकें जैसे, वैसे जज़्बात करते हैं
You thought you were leaving
But I hid you inside me instead