Shweta Shekhawat
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खूबसूरत नज़ारे मन को बहला देंगें रूह को बहलाने के लिए तेरा नाम काफी है

प्रकृति से मिलना हो तो मुसाफिर बन जा हैं सुकुन की बात तो अपने में सिमट जा

खोज करने निकले थे हम वक़्त को ज़ाया करना है सबसे बड़ा सितम

बुलंदियों के रास्ते अकसर त्याग की पगडंडियों से होकर गुजरते हैं

जिनकी कथनी और करनी में बहुत अंतर वो भी ज्ञान देते रहते निरन्तर

कुछ सपने व्यर्थ नहीं होते मगर कुछ के कोई अर्थ नहीं होते

बस चलते रहिए जनाब सफर खुद मंजिल तक पहुंचा देगा

क्यों तू इतना व्याकुल विकल व्यर्थ के भ्रम जाल से तू निकल

कुछ अनबन सी है अपने आप से सही हो कर भी गलत क्यों साबित हो जातें हैं


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