Roshni ke Intezaar Mai,
Andhero se Mohobbat ho Gayi❤️
मेरी सुबह से टकराती तेरी ये शामें कई सवाल करती हैं
मजबूरीयां समझती हैं पर शायद दुरियों से डरती हैं...
तेरी मंजिल की सूरत भी तेरी डगर सी रही..
रे कबीरा..तेरी जिंदगी कुछ अगर - मगर सी रही !
परिंदे भी नहीं रहते पराये आशियानो में,
हमारी उम्र गुजरी हैं किराये के मकानो में..