ज़िन्दगी इन्हीं अल्फ़ाज़ में सिमटी हुई है
क्या तुम मुझसे मोहब्बत करते हो
वक़्त पर अगर काम आना ही नहीं था
तो मुझको अपना बनाना ही नहीं था
ढूंढ लेते पहले से ही अपने जैसा
यूँ दिल की बातों में तुम्हें आना ही नहीं था
वो जब आने का वादा करता है ग़ुरूर तोड़ देता है
सुना तो यह भी है आप बेवफ़ा है और मग़रूर भी
शांति बाहर नहीं आपके
भीतर ही होती है
तुझको पाना अगर एक ख़्वाब है
तुम्हारा मिल जाना ख़्वाब का सच हो जाना है
रास आई नहीं उनको हमारी मोहब्बत
उनको जफ़ा करने का बहाना मिल गया
हमने देखी है जब से तन्हाईयाँ
भरम तेरी वफ़ा का टूट गया
उड़ा लो तुम मेरी मुफ़लिसी का मज़ाक
तमाम उम्र यही तो किया है तुम्हारी अमीरी ने