एक और एक दो भी होते हैं,
एक और एक ग्यारह भी होते हैं।
फर्क है तो हमारी सोच में,
हम क्या समझते हैं।
पत्र जो लिखा तन्हाई में,
भेजा नहीं रुसवाई में।
अनकहे रिश्ते:-
कुछ रिश्तों का नाम नहीं होता, अनकहे रिश्ते कहलाते हैं
पर अहमियत रिश्तों की हमें वही सिखलाते हैं।