ARVIND KUMAR SINGH
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लेखक अरविन्द कुमार सिंह एक सार्वजनिक उपक्रम के वरिष्ठ प्रबंधक पद से सेवानिवृत होकर एक अधिवक्ता के रुप में दिल्ली के जिला एवं सत्र न्यायालयों तथा दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत कर रहे हैं. लेखक ने जीव विज्ञान में बी.एस.सी. की डिग्री के पश्चात् उपरोक्त नौकरी के दौरान ही न केवल एम.ए., एम.बी.ए.,... Read more

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झूठ बोलने वाले का कोई धर्म और झूठ से बढकर घिनौना कोई अपराध हो नहीं सकता अरविन्द

कर्म से बढकर कभी भी कोई पूजा नहीं स्वदेश से बढकर धर्म कोई दूजा नहीं। अरविन्द

ईर्ष्या में रखा क्या है खुद ही राख होते हैं न चैन से सोने देते हैं न खुद चैन से सोते हैं अरविन्द

मुस्कुराहट का जनाब कभी सबब दिया करो तुम्हारे लायक मैं नहीं मेरे शब्दों से ही सही थोडा़ प्यार किया करो अरविन्द

गलती आपकी नहीं कई बार ऐसा होता है कातिल खुद ही कत्ल से अनजान होता है अरविन्द

सागर जैसा पिता होता जो हर गम को पी लेता आंसू एक टपक न पाऐ अपने दिल को सी लेता अरविन्द

हंसते हंसाते कुर्बान देश पर रण बांकुरे तुम कहां खो गये मौत से आंख मिचौली खेली फिर क्यों गहरी नींद सो गये अरविन्द

बन के तीर तुम्हारी नजरों से अल्फाज निकल गये शामत ही आई थी हमारी जो सामने हम पड़ गये। अरविन्द

झूठ, फरेब, हेराफेरी करके क्यों आंख मूंद कर सोता है भवसागर पार में कर्मों का ही किरदार अहम होता है


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