Akash Yadav
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है सब कुछ तो फिर फ़कीर क्यों ? जब सब है इतने शरीफ.. तो गंगा किनारे इतनी भीड़ क्यों ?

जिंदगी के हसीन लम्हों में मैने कुछ ऐसे पलों को देखा है, लोगों की अमीरी में भी उनके गरीब को देखा है।

धन को ही रिश्ते सजाते देखा है, कौन कहता है बाजार में खुशियाँ नहीं बिकती ? मैंने मेहनत को पैसों के आगे नाचते देखा है !

क्या होती है कामयाबी उस बहन से पूछो जिसने कभी कामयाबी नहीं पाई है , पिता ने पाई हो या भाई ने पाई हो हरदम सबसे ज्यादा मुस्कराई है ! - AKASH YADAV


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