सही तू भी है,सही मैं भी हूँ एक नज़रिया तेरा भी,एक नज़रिया मेरा भी। by VK Mishra
हर सूरत में दिखे तू ऐसी तो मोहब्बत नहीं मेरी मेरी मोहब्बत सा खूबसूरत हर कोई हो नहीं सकता
ये सावन है साहब,बच के रहिएगा नज़र मिली तो मुसीबत,नज़र हटी तो मुसीबत VK Mishra
जो हुआ उसे हुआ मान लेना बस यही तो अब होता नहीं है हमसे VK Mishra