आइना लिए फिरा करते हैं कूचा-ए-ख़ामोशी में, किसे दिखाएँ ज़ख़्म-ए-दिल, सब तो नक़ाब में हैं। 👑Kaviraaj-e-Hind ✍️✍️
वो ना हुए फिर भी दिल से जुदा ना हुए, राधा-कृष्ण थे, इश्क़ थे, मगर दास्ताँ ना हुए। 👑Kaviraaj-e-Hind ✍️✍️
जिंदगी के इस सफर में गुमनाम सा मैं, कुछ रूठे रूठे तुम, कुछ तन्हा तन्हा मैं। ✍️✍️ Dheerendra Panchal (Dheeru)