ख़ानाबदोश ज़िंदगी मे, सौ ख़वाहिशे घर बनाने सी |
लिखा है किसी पे बीती कहानी को, हाज़िर हैं शब्दों से हाथ आज़माने को |
हर भाव होता है सभी इंसानों में, होना बयां मेरे शब्दो में बाकी है
तकल्लुफ़ कीजिये मेरा लिखा पढ़ने का, पड़ना नज़र उस्ताओं की अभी बाकी है ||
कृपया अपनी टिप्पणी जरूर लिखें | आपकी टिप्पणी... Read more
ख़ानाबदोश ज़िंदगी मे, सौ ख़वाहिशे घर बनाने सी |
लिखा है किसी पे बीती कहानी को, हाज़िर हैं शब्दों से हाथ आज़माने को |
हर भाव होता है सभी इंसानों में, होना बयां मेरे शब्दो में बाकी है
तकल्लुफ़ कीजिये मेरा लिखा पढ़ने का, पड़ना नज़र उस्ताओं की अभी बाकी है ||
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