हिंदू हिंदू मैं कहूँ मैं हूँ हिंदू भाई
छः माही मंदिर जाऊ आऊँ आना चार चढ़ाई
चार आना लेवत नहीं बालक और भिखाई
चार आने में लू ख़रीद मैं सकल राम-खुदाई
हिंदू हिंदू मैं कहूँ मैं हूँ हिंदू भाई
छः माही मंदिर जाऊ आऊँ आना चार चढ़ाई
चार आना लेवत नहीं बालक और भिखाई
चार आने में लू ख़रीद मैं सकल राम-खुदाई
नफ़रत दिल नहीं करता
ग़ुस्से में हो प्यार नही
मजबूरी ये है दीप आख़िर
हम करे तो करे क्या ?
आरजू की राख लगा ली माथे पर अब
निराश है उम्मीद उम्मी ऐ दिल जलने के बाद
"दीप"
मिट रही थी आरजू और मिट रहे थे ख्वाब सब
तेरा आना क्या हुआ सब हसरते फिर जल उठी
"दीप"
मिल गया वो आज फिर महफ़िल ऐ गुलजार में
फासला दो गज का था दुरी सदियों की हो चली
"दीप"
पूछा गेंद ने पत्थर से
वो बचपन कंहा खो गया
बोला पत्थर मुस्काकर
अब बचपन बड़ा हो गया
"दीप"
गर नहीं मिलता इश्क
हर किसी को ज़माने में
तो हर कफ़न को यंहा
तिरंगा भी कहा मिलता है
"दीप"
शामे ठहरी ठहरी सी कुछ ऐसे ढलती है
अल्पमत में ज्यो गठबंधन की सरकारे चलती है
"दीप"