ये जो लोग मुझ पर हँस रहे हैं, असल में ये ही मुझे सिखा रहे हैं पर उनका मानना है वो मुझे नीचा दिखा रहे हैं अरे! नहीं यारो, आप ही तो मुझे आगे बढ़ा रहे हैं _भावना भट्ट
तू बस कर्म करते जा, फल आज नहीं तो कल मिलेगा परिश्रम के पथ पर चलते जा, हर मुश्किल का हल निकलेगा कठिनाइयों से न घबरा, बस थोड़ा सा साहस दिखा तेरी मेहनत होगी सफल इक दिन, ज़रूर परिश्रम का फल मिलेगा।
कल के चक्कर में अपना आज क्यों बर्बाद करें जो पल मिला है ज़िन्दगी से, उसे खुलकर जिएं जो हो गया, उसके बारे में सोचकर समय व्यर्थ न करें और जो होने वाला है, उसके बारे में हम अभी से क्यों सोचें।
सीख देना कर्म है मेरा, राह दिखाना धर्म है मेरा विद्यार्जन करना और उस राह पर चलना फर्ज़ है तेरा ज्ञान का प्रसार करता हूँ मैं, सर्वज्ञाता नहीं हूँ महज़ शिक्षक ही नहीं, मैं भविष्यनिर्माता भी हूँ
सावन का उल्लास बारिश की बूँदों के साथ जीवन में लाता है एक नई आस धरा की मिटाता है प्यास चारों ओर छा जाता है हर्षोल्लास मन नाच उठता है सावन के आगमन के साथ जैसे राधाकृष्ण रचा रहे हों महारास।
मुट्ठी भर ख़्वाहिशें, पूरी करते-करते खुद को भुला दिया ख़्वाहिशें तो ख़्वाहिशें ही रहीं, बस अपना वज़ूद मिटा दिया
ज़िन्दगी क्या है? कभी कर्ज है तो कभी फ़र्ज़ कभी दर्द है तो कभी मर्म कभी आहत है तो कभी राहत कभी खुली किताब है तो कभी रहस्यमयी लिहाफ़