प्रकृति हमारे परोपकार के लिए बनी है। हमें प्रकृति का संरक्षण करना चाहिए।
दुख, सुख, जीवन, मरण सब कर्म के आधीन हैं। ऐसा जो जान लेता है वह कभी अशांत नहीं होता।
अच्छी संगति से हमारा परिष्कार होता है, उन्नति होती है। सदा अच्छे लोगों के साथ उठें बैठें।
श्रद्धा, धैर्य और परिश्रम से सभी कार्य संभव बन जाते हैं
हाथों की पवित्रता सेवा से है,मन की पवित्रता दया से है।
जो वस्तु हमारे पास नहीं उसकी चिंता ना करें, जो वस्तु हमारे पास है उसका आनंद उठायें।
इंसान स्वयं अपना सबसे बड़ा मित्र है, और सबके बड़ा शत्रु भी।
क्रोध सबसे अपवित्र है, क्रोध रहित रहें। अपने मन बुद्धि आत्मा को पवित्र रखें।
ज्ञान सबसे बड़ी योग्यता है राजा सिर्फ राज्य में आदर पाता है विद्वान सर्वत्र आदर पाते हैं।।