Rupesh Kumar
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शब्दों को शब्दों से सजाया जाता हैं , मोहब्बत को गले से लगाया जाता हैं , यूँ ना हो दूरी हमारी तुम्हारी जिंदगी की , जब दूरी होने लगे हमारी तुम्हारी तो , मौत को गले से गले लगाया जाता हैं |

तुम्हारा इन्तजार मै कबतक करू , तुम होती तो कैसा होता !

जीवन जीने का मजा ही बचपन मे अनोखा था , बचपना जीवन का मौज मस्तियाँ ही स्वपनिल थी, काश वो जिंदगी फिर आ जाती , जीवन मे बचपना खुशहाली ले आती! ~ रुपेश कुमार


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