Manoj Kharayat
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कोई गम नहीं की तूने हमे भुला दिया टूटे हुए पत्तों की तरह पर हमने आज भी हिफाज़त से रखा है तेरा रुमाल, उस किताब में रखे मोर पँख की तरह

तेरी उस एक मुस्खुराहट ने हमे उस दिन भी मारा था और आज बरसों बाद भी यही आलम है तेरा

यादों की मार और खंजर की धार गहरा ज़ख्म देती है

है वीर सिपाही तेरा बलिदान न ज़ाया जायेगा, तेरी लहू की हर एक बूँद से सोया हुआ ये देश जाग जायेगा |

आज फुर्सत निकाल कर शाम से बात करी, वो इतनी बुरी भी नहीं है की काम काज़ के चक्कर में उसे भुला देते है लोग |

आज ज़िन्दगी ने मुस्करा कर पुछा मुझसे, की दिन कैसे कट रहे है तेरे |

पल-पल जिस पल को तरसते रहे हम जब वो पल आया तो वो पल, पल-पल में निकल गया |


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