Jaya Rohin
Literary Lieutenant
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एम .ए ,बीएड ।शिक्षक अनुभव ।

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आवाज़ में मधुरता हो तो इन्सान के जीवन में एक नयी ऊर्जा का संचार होता हैं ,जब वो अपनी मधुर आवाज़ को सुनता हैं ।

मा,नु तू हैं खुदा मा,नु तू हैं सादगी की सुरत मा,नु तू हैं एक प्यार भरी मूरत मा,नु तू हैं सुख-दु:ख का सागर हे माँ!तू जननी हैं हमारी ।

अब तो खामोश रात की तरह ये दिन भी खामोश हो गया न जाने कब ये दुनिया वापस चहचहायेगी ।।


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