ज़िन्दगी से क्यों रूठ गए हो तुम,
इतने मायूस क्यों हो गए हो तुम,
ज़रूर तुम्हारा भी किसी ने दिल तोड़ा है,
जो इतने ग़म-गीन हो गए हो तुम।
बुरा नहीं था मैं,
लेकिन
साबित भी तो नहीं कर पाया
Umar bhar Ghalib
ye hi bhool Karta raha
dhool chehre pe thi
aur aina saaf karta raha
फायदा, बहुत गिरी हुई चीज है,
और लोग उठाते भी बहुत है।
फायदा, बहुत गिरी हुई चीज है,
और लोग उठाते भी बहुत है।
यह मंदिर भी क्या गज़ब की जगह है, जहां गरीब मंदिर के बाहर भीख मांगता है और अमीर मंदिर के अंदर।
हमें तो पूरी जिंदगी मिली थी जीने के लिए, लेकिन हम सिर्फ weekends और holidays कि इंतजार करते रह गए।
हमें तो पूरी जिंदगी मिली थी जीने के लिए, लेकिन हम सिर्फ weekends और holidays कि इंतजार करते रह गए।
स्वयं भूखा रहकर
किसी को खिलाकर तो देखो,
कुछ यूं इन्सानियत का फर्ज
निभाकर तो देखो।