हमारी दुआओं के भाव को जितना महसूस करते हैं हम, वो दूसरों को नज़र कहाँ आता है वो तो सिर्फ़ अभिव्यक्ति है! मधु मिश्रा ©®
इक रंग इबादत का ही गहरा होता है साहब .. बाकी के सारे रंग तो वक़्त के साथ फ़ीके पड़ जाते हैं..! मधु मिshra ✍️
विडंबना है कि... अनगिनत कर्तव्यों को निबाहते हुए जिसे सुबह से शाम हो जाया करती है.. उसके हिस्से में आती है तो सिर्फ़ एक तारीख़ जिसमें उसके लिए गढ़ी जाती है अनेक कविताएं और लच्छे दार भाषण..!
न जाने कैसे जान जाती है वो... आँखों में देख कर ही.. हर दर्द को मेरे..! दुखती रग की नब्ज़ टटोल ही लेती है वो माँ से बड़ी "चिकित्सक" भला देखी है कहीं..! मधु मिshra ✍️
न जाने कैसे जान जाती है वो... आँखों में देख कर ही.. हर दर्द को मेरे..! दुखती रग की नब्ज़ टटोल ही लेती है वो माँ से बड़ी "चिकित्सक" भला देखी है कहीं..! मधु मिshra ✍️