Shashi Dwivedi
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वक्त बदलता है बड़े वक्त के बाद, महसूस होता है बीता वक्त कभी ढुलकते आंसुओं तो कभी हल्की मुस्कान के साथ शशि द्विवेदी

अगर हम सोच सकते हैंं तो हम कर भी सकते हैं

हमको हम से ही जानिए, हाँ हमको हमारे जैसा ही रहने दीजिए हम स्त्रियां ही हैं भली हमें पुरूषों की उपमा देकर शर्मिंदा न कीजिये।। हम सा पुरुषार्थ पुरूषों में भी नही पुरुषार्थ छोड़िए स्त्रियार्थ शब्द जोड़िये। शशि द्विवेदी

हम उम्मीद हैं उन परिंदों की जो आसमां की ऊंचाइयों को नापने की हिमाकत रखते हैं हम स्त्रियां हैं।।

विज्ञान विश्लेशन करता है, विकास की राह दिखाता है, सपनों को उड़ान देता है कल्पनाओं को खुला आसमान देता है

कभी कभी जिंदगी बड़ी अजनवी सी लगती है जितना भी जानी है बड़ी कम जानी सी लगती है

जिन्दगी की जिरह है की जिन्दगी को जन लूँ

जिन्दगी आसान सी है बसर्ते जीना आ जाये


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