I'm Shashi and I love to read StoryMirror contents.
Share with friendsवक्त बदलता है बड़े वक्त के बाद, महसूस होता है बीता वक्त कभी ढुलकते आंसुओं तो कभी हल्की मुस्कान के साथ शशि द्विवेदी
हमको हम से ही जानिए, हाँ हमको हमारे जैसा ही रहने दीजिए हम स्त्रियां ही हैं भली हमें पुरूषों की उपमा देकर शर्मिंदा न कीजिये।। हम सा पुरुषार्थ पुरूषों में भी नही पुरुषार्थ छोड़िए स्त्रियार्थ शब्द जोड़िये। शशि द्विवेदी
विज्ञान विश्लेशन करता है, विकास की राह दिखाता है, सपनों को उड़ान देता है कल्पनाओं को खुला आसमान देता है