मेरे चर्चे में जब शहर का अख़बार निकला, मेरा ही क़त्ल हुआ मैं ही गुनहगार निकला। रोज़ सुनाता था जो बेवफ़ाई के किस्से हमें वो शख़्स भी उसी कहानी का क़िरदार निकला।। Himanshu Samar
कभी प्रीतम कभी छलिया कभी बैरी मोहब्बत के, कई क़िरदार हैं साहेब तुम्हारी एक कहानी में।। Himanshu Samar