king Himanshu
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मेरे चर्चे में जब शहर का अख़बार निकला, मेरा ही क़त्ल हुआ मैं ही गुनहगार निकला। रोज़ सुनाता था जो बेवफ़ाई के किस्से हमें वो शख़्स भी उसी कहानी का क़िरदार निकला।। Himanshu Samar

कभी प्रीतम कभी छलिया कभी बैरी मोहब्बत के, कई क़िरदार हैं साहेब तुम्हारी एक कहानी में।। Himanshu Samar

वो शख़्स तेरे लिए आज भी सबसे ख़ास क्यूँ है हर रोज की तरह तू फ़िर इतना उदास क्यूँ है, जान तो तेरी वो बहुत पहले ही ले चुका है अब कफ़न में मुकम्मल हो जा जिंदा लाश क्यूँ है। हिमांशु "समर"


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