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खुद की तलाश में उम्र बीती.... क्या कभी किसी ने, मुझ में मुझ को देखा.... प्रतिभा श्रीवास्तव अंश
अंश की कलम से... पहले पसंद, फिर आदत बन,अब जिंदगी बन बैठे, तुम्हें भूलना मुश्किल नही,नामुमकिन सा लगता है..... प्रतिभा श्रीवास्तव अंश
अंश की कलम से..... जहाँ जन्मी वो मायका, जहाँ डोली में गई, वो ससुराल, इस दुनिया मे फिर, मेरा घर कहाँ.... प्रतिभा श्रीवास्तव अंश