होली उनकी भी है,
जो कभी रंग देख न पाए।
उनके हिस्से क्यूं,
ऐसे दुख आए।।
कभी लिखना नहीं, चाहती मैं कुछ,
पर हालात मुझ से लिखवाते हैं।
मेरे मन के भाव तब,
शब्दों में बयां हो जाते हैं
कभी लिखना नहीं, चाहती मैं कुछ,
पर हालात मुझ से लिखवाते हैं।
मेरे मन के भाव तब,
शब्दों में बयां हो जाते हैं
जब जिसने जैसे चाहा, मुझको यूज किया
इस दुनिया ने सिवाय गम के, मुझे और क्या दिया
हिंदी में ही, रच बस जाए,
इसे विश्व में, प्रसिद्धि दिलाएं।
जब होगा, हिंदी का सम्मान,
विश्व में आगे होगा, भारत महान।।