पाँचों ऊँगलियों में जीवन का सार है-अंगूठा ईश्वर के होने का एहसास कराता है,तर्जनी ये कहता है- दूसरों की ओर देखो मगर..., बाकी तीन ऊँगलियाँ कहती हैं- अपनी ओर देखना कभी मत भूलना!
काश हममें भी झरने की - सी फितरत होती ...तो बीते लम्हों को पकड़कर रखने की कोशिश में नासाज़ हमारी तबीयत होती...
प्लास्टिक का ख्याल तक दिलों में न लाओ, जीवन से ;विचारों से प्लास्टिक हटाओ, धरा ;पर्यावरण एवं जीवो को बचाओ, पर्यावरण- हितैषी चीजें अपनाओ!