Pandit Dhirendra Tripathi
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हम कहते है कि सब वफादार रहे और इस कहने में हमी गाएबाना रहते है

जब आपस मे अनबन हो जाएगा न तब जो हम नहीं कहेंगे तुम वही सुनोगे

एक रोज जिंदगी से तंग आकर मैंने कर ली खुदकुशी कुछ लोगो को ये भी हजम न हुआ कि मैं अपनी मौत मर गया

अब ऐसे टूटेंगे की बिखर जायंगे जिंदगी इतनी तंग कर रही है कि जल्द ही मर जाएंगे

मेरे मर जाने से क्या होगा ख्वाहिशें दिल में जिंदा रहेगी मैं मर जाऊंगा एक तुम्हरी ख़ातिर मेरे पिता के संस्कार पर उंगलिया उठाएंगे लोग मेरी माँ की आँचल ताउम्र शर्मिन्दा रहेगी

ये चाय भी उनकी बाहों की तरह है थोड़ी देर में पूरी तबियत बदल देती है

जो दिल चाहे , वही करता है इश्क़ कब ,किसकी सुनता है


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