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Anchor Nehaa Gupta
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तुम्हे खुद से छुड़ाते देख बहुत तकलीफ़ हुई, जैसे कुछ टूटा हो कभी ना भरने के लिए ज़रूर वो इश्क़ ही होगा तभी आवाज़ नही आई वरना चीज़ों के टूटने की आवाज़ तो पूरे घर में सुनाई देती है और एक टूटन दीवारे भी सुनती हैं इसीलिए दरकने जल्दी लगती हैं। Nehaa Gupta

तुम पास आए कुछ इस तरह, जैसे पानी में घुलती हुई चीनी। तुम रूह में समाए कुछ इस तरह, जैसे इश्क़ की हर घूट है मुझे पीनी। Nehaa Gupta

इश्क़ में पिघलिएगा ज़रा ज़रा, वरना आइस्क्रीम की तरह खत्म हो जाएंगे प्रेम से रखियेगा अपना घर हरा हरा, वरना कबीर सिंह की तरह पागल आशिक़ बन जाएंगे।


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