सूनी अंखियां सूना अंगना सावन में इस बार मेघा बरसे मनवा तरसे सावन में इस बार तुझको खोजें पायल , कंगना सावन में इस बार पल पल याद आए सजना सावन में इस बार ✍🏻 नेहा धामा " विजेता "
शहंशाह बनने को किसी जागीर , तख्तोताज की जरूरत नही होती बस सीने में धड़कने वाला जिगरा बड़ा होना चाहिये .........
क्यों इतने भाव विहीन हो जाते हो शब्दों से काँटों सी चुभन दे जाते हो मानती हूं मैं तुमसे इतनी दूर हूं क्या जानते नहीं कितनी मजबूर हूं
कनक नाम अनुरूप तुम कितनी अनमोल प्रतिछाया हो मेरी तुमसा ना कोई और चंद्रमा सी शीतल सूरज सा मुख पर तेज फूलों सी खुशबू , मोतियों सी मुस्कान नेहा धामा " विजेता "✍🏻
बारम्बार झूठे अंह तले कुचला गया मेरा आत्मसम्मान याद रख एक दिन चुर चूर हो जाएगा तेरा अभिमान नेहा धामा " विजेता " बागपत , उत्तर प्रदेश
माना कि तुम बहुत चतुर हो तुम्हारी ये चतुराई हम पर ना चल पायेगी लाख छुपा हमसे तू राज ए मोहब्ब्त गालों की लाली सब हाल कह जायेगी
बड़ी भाग्यवान है वो, जो तस्वीर से निकल , तेरे दिल में इस कदर समाई है, वो कितनी सुंदर होगी, जिसकी तारीफ में , इतनी सुंदर कविता बनाई है