कीर्ति त्यागी
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कारवां गुज़र गया हम वक्त की तलाश में रहे ,, तो चलिए शुरू करते हैं एक नए सफ़र की शुरुआत तेरी मेरी कहानी और कुछ अनकही बाते 😂😂 प्लीज मेरी कविताएं और कहानियों को अवश्य पढ़ें अगर आपके पास वक्त है ,,,,, शुक्रिया आपका 😊 मेरे इस सफ़र में मैं आप सभी का एक सहयोग चाहती हूं 😊 उम्मीद है अवश्य मिलेगा 😊

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ए चांद तेरे जाने के बाद कुछ यूं टूट कर बिखरी हूं मैं, होश‌ है काबू में पर दुनिया से रूठी हूं मैं ,,

व्यापार की दुनिया है साहब यहां जज़्बात बिकते है, खरीदते हैं लोग जिन्हें वो अरमां कहा मुफ्त में मिलते है,,

रात अक्सर बीता दी है मैंने, पर अब सोचती हूं दिन का क्या कुसूर है,,

गुजर रही थी जिंदगी कितने ही सुकून से , बस एक ही शब्द ने मचा दी हलचल इस शांत से दिल में ,, ✍️✍️कीर्ति त्यागी


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