mukta singh
Literary Captain
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सुकून की तलाश में हम दर-बदर भटक रहे रूह की शांति आँख-मिचौली खेल रही

मेरे जीने का सबब ❤️ हमारे बच्चों का ये अनूठा अहसास❤️ बाकी सारी रवायतें,जरूरते हैं झीनी।❤️

ख्वाबों से भी ज्यादा हंसी है ये पल काश वक़्त न करता सितम आज ज़ज़्बातों के कारीगरी और हसीं होते

हमदोनो के बीच दो दुनिया की दीवारें हैं जिसे इस लौकिक देह से ना तोड़ पाऊंगी पर अंतरात्मा में तो सिर्फ तू ही है बसी तू वेवफ़ा सही,पर मेरी दुनिया है तुझसे सजी

तेरी यादों का पहरा,लगती है बेड़ियां तड़पता है दिल तुझे गले लगाने को तेरी प्यारी सी आवाज़ में माँ सुनने को सपनों को धीमे-धीमे बुनते हुए गुनगुनाने को पर अब तो सिर्फ काश और क्यूँ का घेरा है

रात के नीरव में यादों की महफ़िल सजती हैं इन खामोशियों के जंगल मे तेरी हंसी गूंजती हैं


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