हमदोनो के बीच दो दुनिया की दीवारें हैं जिसे इस लौकिक देह से ना तोड़ पाऊंगी पर अंतरात्मा में तो सिर्फ तू ही है बसी तू वेवफ़ा सही,पर मेरी दुनिया है तुझसे सजी
तेरी यादों का पहरा,लगती है बेड़ियां तड़पता है दिल तुझे गले लगाने को तेरी प्यारी सी आवाज़ में माँ सुनने को सपनों को धीमे-धीमे बुनते हुए गुनगुनाने को पर अब तो सिर्फ काश और क्यूँ का घेरा है