Sobhit Thakre
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I am interested in literature. I write childish stories, story, one-off writing.

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"घर के चूल्हें पर चढ़ी उसके बच्चों की भूख निहार रही थी उसके मुट्ठी भर वेतन को ..!!"

व्यक्तित्व हर इंसान को खास बनाता है किसी को विचारपूर्ण तो किसी को विचारहीन बनाता है

किसी मानस मन की हत्या से बड़ा क्या अपराध होता है खून तो भावनाओं का इस जहाँ में रोज होता है sobhit

बन गए अजबनी हम तुम्हारे लिए तुम हमारे लिए पर यादों का क्या ?? रह -रह कर जो सीने में दहकती है ।

"मानस मन को थोड़ा नटखट बनाये रखिये जिससे बचपन की यादें फिर ताजा हो जाये और दिल फिर बच्चा बन जाये।"


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