Reena Srivastava
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मैंने पढ़ाई स्नातक तक की हुई हूं ,लिखने के साथ-साथ आर्ट क्राफ्ट भी करती हूं और महिला समिति भी चलाती हूं

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उम्मीद से ही दुनिया चलती उम्मीद ना होती तो हम ना होते उम्मीद ही हमारी हौसला बढ़ाती उम्मीद ही हमें मार्ग दिखाती उम्मीद है हमें सपने दिखाता उम्मीद ना होती हमारे पास तो ना कर पाती पूरे ख्वाब

साज बजा कर देख तो सही बजने को तैयार खड़े हैं वहीं     तुझसे ही हुई है आशिकी    आशिकाना हम सा कोई नहीं

ढूंढ़ा  तुझको हर गली मिले ना तुम मुझे कहीं      डूब रहा था दरिया में कोई      मिला ना किनारा उसे कहीं  

दिल मे किसी की चाहत है    पर इकरार कर नही पाता        कैसी  ये  दिल्लगी  है कोई  जान नही पाता


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