भाग्य न कर्मो का बस पुरुषार्थ होना चाहिए
धैर्य साहस लक्ष्य का शब्दार्थ होना चाहिए ,
कर्म भूमी विरो के पर्याय हेतु ही बनी
कर्म सेवा जव भी हो निस्वार्थ होना चाहिए |||
शिवानन्द चौबे ( भदोही यूपी )
मोहब्बत वो नही जो कि भ्रमर करता है कलियों से
मोहब्बत में जिसे हर दिल ने है पागल बना डाला
मोहब्बत तो पपीहे की तड़प की कश्मकश में है ,
जिसे स्वाती की बूंदों ने मरुस्थल सा बना डाला !!