हमारा दिल भावनाओं का समंदर हैं,
कौन जाने कितना दर्द किसके अंदर है।
कुछ इन्हें अल्फ़ाज़ों से बयां करते है,
जो जीत जाए इससे वही सिकन्दर हैं।
निधि शर्मा
गुलाब सा बनकर देखिए जनाब,
काँटों का दर्द खुद ही भूल जाएंगे।
रौद्र रूप तू धारण करना वरना कुचल दी जाएगी,
अपने स्वाभिमान के लिए लड़ तू सफल हो जाएगी।
निधि शर्मा