"आख़िर मन भयभीत क्यों है उससे आने वाला जो कल है,
उसे कर्म की क्या चिंता जिसके मन में बस छल है,
मिट गया वो युग पश्चराताप
की राह पर चलने का ,
ये कलयुग है प्रिए यहां पाप
करना ही सबके लिए सरल है"
दिल चाहता है तेरी आगोश में समा जाऊँ,
बस भर को तेरा दीदार हो,
और फिर सदियों के लिए सो जाऊँ.....