मनोज सिंह 'यशस्वी'
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शिक्षा - स्नातकोत्तर हिंदी, स्नातक एकाउंट पेशा - अककॉउंट

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माँ का पहला रूप (शैल पुत्री जी) रचना - माता तीनों लोक की, शैलसुता है नाम । करुणा के सागर तुम, भक्त्त तेरे श्रीराम ।। भक्त्त तेरे श्रीराम, तुम हो सहारा सबका । हर लेती तुम सब पीड़ा, जब भजूँ नाम तेरा ।। सेवक रहे यशस्वी अब, तुम वरदान देना । रूप तेरे बहुतों पर, तुम हमारी माता।। मनोज


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