भविष्य को ना जानते हुए भी अपनी सारी उम्र और अपनी सारी संपत्ति, अपनों पर लगा देने वाले शख्स को ही "पिता" कहते हैं ll
मृत्युंजय पाठक "साहिल"
प से पालने वाला
त से तराशने वाला
और इन शब्दों के मेल से बने शक्स को ही कहते हैं
"पिता"
यह ना समझो कि तुम्हारे काबिल नहीं है हम।।
अभी तड़प रहे हैं वे जिन्हें हासिल नहीं हुए हैं हम।।
संभल कर गिरने वाले से कहीं बड़े!!
गिरकर संभालने वाले होते हैं ll
मृत्युंजय पाठक "साहिल"
ए जिंदगी सोचता हूं तेरी तारीफ में दो शब्द कहूं,
मगर क्या कहूं तारीफ तो अक्सर मरने के बाद ही होती है।।