Smita Singh
Literary Brigadier
108
Posts
0
Followers
0
Following

अपना ज़माना आप बनाते हैं अहले-दिल, हम वे नहीं कि जिसको ज़माना बना गया.. इन पंक्तियो मे मुझे मेरा अक्स दिखता है।

Share with friends

चलो आसमां से सूरज हम उधार लेते है, गिरवी रखकर शिकवे, शिकायतों की जमीं, रौशनाई उम्मीदों की,एक किश्त बांध लेते है।

मदद के फलसफे का एहतराम कर, गाकर उसके फसाने इस जहां में, मानवता को ना शर्मसार कर।

बिनाई(द्र्ष्टि) बिनाई खुदा की रहती है , तेरे कर्मो पर , तू नाहक बन्दे !खफा होता है वक्त के फैसलो से।

महरूम ना कर खुद को,दिल के मैखानै से, इंसानियत का नशा होता है यहां,जस्बातों के जाम टकराने से। स्मिता सिंह.चौहान गाजियाबाद,उत्तर प्रदेश

तौहमत लगाकर किसी की तौहीन,ना किया कर यहां सब खुदा के बन्दे है,ये जुर्म संगीन ना किया कर। वक्त सबका आता है,उसके जहां का दस्तूर है, किसी को रूसवा किया है गर,अपनी बारी पर मत पूछना ऐ खुदा मेरा क्या कसूर है?

हमारी उल्फतो का सफर ,उनकी सरगोशियो से वाबस्ता है वीरानो मे चल रहे है हम,लेकिन बहारो से एक खुशनुमा सा रिश्ता है। स्मिता सिंह चौहान गाजियाबाद

आपकी जीत का सरोकार आपके विचारों से हैं, दूसरे के दृष्टिकोण से नहीं ।

गर खुदा पर भरोसा है, तो ऐ दोस्त पहले खुद से मुखातिब तो हो, खुद लिखेगा वह पहचान तेरी , तेरी खुद की लिखी मुकददस कहानी तो हो।

फिजाओ में रवानगी सी है, लगता है तूने, अपनी लटों को सुलझाया है आज।


Feed

Library

Write

Notification
Profile