Swaruparani Sahoo
Literary Captain
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I'm Swaruparani and I love to read StoryMirror contents.

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दर्द जमाने से नहीं अपनों से मिला है, सिकवा दूसरों से नहीं खुद से है।

कहते हैं... समय के साथ साथ, ज़ख्म भर जाता है, मगर मेरा ज़ख्म, नासूर बनता जा रहा है।

इंसान अकेला हो तो वक्त नहीं गुजरता, अगर कोई साथी मिल जाए तो वक्त कब गुजरता , कुछ पता ही नहीं चलता।।

ବଞ୍ଚିଥିବା ମଣିଷ ପାଖରେ ବସିବା ପାଇଁ କାହା ପାଖରେ ସମୟ ନାହିଁ, ମରିଗଲା ପରେ ପାଖରେ ବସି କାନ୍ଦିବା ପାଇଁ ଶହେ ଜଣ ଆସିଯିବେ।

जब लगे जिन्दगी ठहर सी गई है, तो मानलो यह तो नया आरंभ हैं।

ରୂପ ଯେ ତୁମର ଅତି ମନୋରମ ବର୍ଣିବା ପାଇଁ ଯେ ମୁଁ ଶବ୍ଦ ହୀନ ,ଦର୍ଶନ ତ ହେଲା ପୂର୍ଣ୍ଣ ; ନା ତୋଷ ହେଲା ଆତ୍ମା ନା ଭରିଲା ଏ ମନ ।

बीते हुए लम्हों को भूल पाना नामुमकिन है, फिर भी आने वाले कल के लिए सपने देखना ज़रूरी है ।

True lines of life aren't written in book...

वक्त आने पर ही पता चलता है कि कौन अपना है और कौन अपना होने का दिखावा करते हैं।


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