ना कोई कविता लिखी..
ना तुझ संग ली कोई तस्वीर ।
सोच रहा था बस इतना मैं..
माँ तूने ही तो बनाई हैं मेरी तक़दीर ।।
चंद पैसों को मोहताज़ है वो,
जो कभी अपनी अमीरी से
फ़क़ीर कि बद्दुआ खरीद लाया था ।
-ShayarPraveen
मैं हक़ीक़त हूँ,
हर किसी कि औकाद नहीँ
मुझें सुनने की ।