किताबें मित्र हैं सच्ची सही राहें दिखाती हैं। युगों से युगपुरुष कहते, ये जीवन को सजाती हैं। किताबों का करो तुम अनुसरण ऐ!पुष्प जीवन में- यही मतिमंद मानव को सुघड़ ज्ञानी बनाती हैं। पुष्प लता शर्मा
रहे मुस्कान, सूरत को कभी मनहूस मत करना। बुरे हालत में भी दर्द को महसूस मत करना। छटेंगे दुख के' बादल भी , सुखों के मेघ बरसेंगे, निराशा में भी रखना आस,मन मायूस मत करना। पुष्प लता शर्मा
काम न आते हैं कभी, नाते रिश्तेदार। कठिन वक्त में छोड़ सब,गये हमें लाचार।। गये हमें लाचार, तोड़ विश्वास हमारा । जो थे बेहद खास,सभी ने किया किनारा। देख स्वार्थी पुष्प, झूठ के रिश्ते नाते। बनते बड़े महान, वक्त पर काम न आते। पुष्प लता शर्मा
कहती है हिंदी सुनो, दो मुझको भी मान। लो मुझको व्यवहार में ,और बढ़ाओ शान।। "पुष्प" बढ़ाओ शान, विश्व में गूँजे नारा। चमके हिंदी आज ,कि जैसे हो ध्रुवतारा। जो निज घर में पुष्प, लुप्त सी होती रहती । छोड़ विदेशी बोल, आज यह हिन्दी कहती ।। पुष्प लता शर्मा
हिन्दी भाषी हम सभी , करते जय-जय कार। हिन्दी से हमको रहा , सदा असीमित प्यार।। सदा असीमित प्यार , हमारी भाषा देती। शुद्ध सरल व्यवहार , सभी का मन हर लेती।। असम, अवध, गुजरात, हिमालय की है बिन्दी। दिल्ली, या पंजाब , बोलते सारे हिन्दी।। पुष्प लता शर्मा
हिन्द का हिन्दी से संस्कार है पूर्व से पश्चिम तलक व्यवहार है फिर न जाने क्यों पराई सी रही देश का घर द्वार वंदन वार है पुष्प लता शर्मा
हिन्दी भाषी हम सभी , करते जय-जय कार। हिन्दी से हमको रहा , सदा असीमित प्यार।। सदा असीमित प्यार , हमारी भाषा देती। शुद्ध सरल व्यवहार , सभी का मन हर लेती।। असम, अवध, गुजरात, हिमालय की है बिन्दी। दिल्ली, या पंजाब , बोलते सारे हिन्दी।। पुष्प लता शर्मा
खनखन करती चूड़ियाँ , अलकें बिखरी गाल। कटि पर लटके करधनी , मदमाती सी चाल।। मदमाती सी चाल , मोह मन मेरा लेती। चला नैन से तीर, मुझे बेसुध कर देती ॥ इठलाती जब पुष्प , सुना पायल की छनछन। प्रिय का लूटे चैन, चूड़ियों की ये खनखन।। पुष्प लता शर्मा