स्नातक राँची महाविद्यालय से किया |ब्लॉग ,कहानी एंव कविता लेखन में रूची कई कविता एंव लघुकथा अख़बारों तथा अन्य में प्रकाशित हो चुकी है| एक लघुकथा संकलन-“घरौंदा “प्रकाशित काव्य संग्रह प्रकाशनार्थ।
Share with friendsसेवा भाव है सर्वोपरि लेकर नाम मुख से हरि कर्म जग में रह जाएगा- प्रभु की माया है गहरी। सविता गुप्ता ✍️
चलो एक रोटी कम खाते हैं। चलो किसी का पेट भरते हैं। भर जाएगा तन मन ख़ुशी से- कड़ी को आगे बढ़ाते हैं। सविता गुप्ता ✍️
तीस साल के बूढ़े से अच्छा अस्सी साल का बच्चा बनना। घुट कर नहीं खुलकर जीने की हो तमन्ना। सविता गुप्ता ✍️