प्रभाकर निकला किवाड़ खोलकर
नव जीवन आया समस्त जगत पर।
सविता गुप्ता ✍️
सेवा भाव है सर्वोपरि
लेकर नाम मुख से हरि
कर्म जग में रह जाएगा-
प्रभु की माया है गहरी।
सविता गुप्ता ✍️
कर जोड़े वंदन करूँ,नमन झुका कर शीश।
हम पर गुरुवर आपकी,सदा रहे आशीष।
सविता गुप्ता ✍️
जन-जन योगासन करें
ताज़ा हो आहार।
गात निरोगी हो तभी,
सुंदर रहे विचार।
सविता गुप्ता ✍️
पत्थर को भोग लगाने से अच्छा है
किसी भूखे का पेट भरना अच्छा है।
सविता गुप्ता ✍️
माना परिस्थितियाँ विपरीत हैं कुछ इस कदर।
मिलेगी कामयाबियाँ ख़ुशनुमा होगा डगर।।
सविता गुप्ता ✍️
चलो एक रोटी कम खाते हैं।
चलो किसी का पेट भरते हैं।
भर जाएगा तन मन ख़ुशी से-
कड़ी को आगे बढ़ाते हैं।
सविता गुप्ता ✍️
तीस साल के बूढ़े से अच्छा अस्सी साल का
बच्चा बनना।
घुट कर नहीं खुलकर जीने की हो तमन्ना।
सविता गुप्ता ✍️
चलिए तूफ़ानों से दो दो हाथ करते हैं।
हम तो नीर से शमा जलाने का माद्दा रखते हैं।
सविता गुप्ता ✍️