Seema Singh
Literary Colonel
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मैं एक गृहिणी हु। एक प्यारी सी बेटी की मां हु। लिखना बहुत अच्छा लगता है।कलम के माध्यम से अपने विचारों को व्यक्त करने की छोटी सी कोशिश..

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बिना सोचे समझे ज्ञान देना आसान है पर उसी ज्ञान को अपने जीवन में साझा करना बहुत कठिन है इसलिए कहते हैं जब भी ज्ञान दे किसी को जब आप उसके लायक़ हो!

हार कर जीत का सबक सीखा लिया.... जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा मिली.... हार हो या जीत....तहे दिल से स्वीकार करना चाहिए.... वो हर पल आपको आपकी हार और जीत की अहमियत समझाती है.....

तुम कहो तो तेरा नसीब बन जाऊं तु कहे तो मैं अजनबी बन जाऊं..

मुझे फर्क नही पड़ता लोग क्या सोचते हैं मेरे बारे में... फर्क तब पड़ता है जब मेरे अपने मेरे बारे में क्या सोचते हैं...??

ग़म हो या खुशी जिसके चेहरे पर सदा मुस्कराहट रहती है वो होती है "मां"...


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