ए जिंदगी! आज खुद को सवालों के दायरे में जब पाया, थोड़ा सकून मिला; दहशत-ए-गर्दिश थी हमेशा, पर जिंदगी तुझे हमने संभाल ही लिया... ✍🏼 रतना कौल भारद्वाज
न नाराज़ हूं न गमगीन पर तुझसे एक गिला है ए खुदा यह मेरे घर का रास्ता उसकी गली से ही क्यों निकाला... ✍🏼 रतना कौल भारद्वाज
ऐसा नहीं है कि आसमान रोता नहीं है, उसकी आंखों के आंसू काले बादल चुरा ले जाते हैं.... ✍🏼 रतना कौल भारद्वाज
मुद्दा यह नहीं है कि हम उसे भूल क्यों नहीं पाते हैं, मुद्दा यह है कि वह हमें ख्वाबों में आकर क्यों सताते हैं... ✍🏼 रतना कौल भारद्वाज
जिल्द में गर बंद पड़ी है तो बंद ही पड़ी रहने दो उसको वर्क छेड़ोगे तो किसी की बदकिस्मती बयां हो सकती है , गर कोई रंगीन वाकया स्याही ने रंगा होता तो दीमक व गर्द की ज़द में वर्क यूं घुटे घुटे नहीं होते... ✍🏼रतना कौल भारद्वाज
अब जब हमने मोहब्बत से तौबा की थी, अपने नाम मोहब्बत का पैगाम आया इससे पहले कि दिल से हम कुछ पूछ लेते, सरे आम उसका फरमान आया.... ✍🏼 रतना कौल भारद्वाज
कुछ रिश्ते जब हाथ से फिसल जाए और दिल बेचारा सकून पाए, समझ लेना वे ताल्लुक़ात नहीं थे सिर्फ बंदिशें थी, और अब रिहा हो गए.... ✍🏼 रतना कौल भारद्वाज
वह उसकी अदा थी या बेअदबी मैं ज़हर के घूंट पी कर रह गया उसने घर का पता तो भेज द पर न आने का वादा भी लिया... ✍🏼 रतना कौल भारद्वाज