Ratna Kaul Bhardwaj
Literary General
AUTHOR OF THE YEAR 2020,2021 - NOMINEE

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सादगी इतनी भी अच्छी नहीं आज के दौर ए आलम में, बैठे हैं वे हाथों में खंजर छुपाए और हमारी नजरें हैं झुकी हुई... ✍️✍️रतना कौल भारद्वाज

हर कहानी कलम की मोहताज नही बर्ताव अगर याराना हो, दास्तानें उमंगों से भरी होगी फितरत गर न शातिराना हो.... ✍️✍️रतना कौल भारद्वाज

अगर मैं मुकद्दस हो जाऊं तो क्या यह दुनिया फितरत बदल देगी? ✍️✍️रतना कौल भारद्वाज

यह आशियाने, यह शोहरत, यह दौलत सब दिल की ख्वाहिशों की बदौलत है पर सब कुछ होते हुए भी फिर यह दिल क्यों सकून की तलाश में परेशान है?.... ✍️✍️रतना कौल भारद्वाज

इंसान ख्वाहिशों से उलझा रहता है, वर्ना खता उससे कभी होती नही.. रतना कौल भारद्वाज

यह भूख, यह गुरबत, ऊपर से कश्मकश,बहुत ही जालिम है सब, तोतली ज़ुबान भी हर चौराहे पर हाथ फैलाए खड़ी मिलती है.... ✍️रतना कौल भारद्वाज

माना कि तू ही सही कि तेरे बारे में कुछ नही जानते हैं हम फिर इन हवाओं में से तेरे बदन की खुशबू कैसे महसूस होती है.... ✍️रतना कौल भारद्वाज

खामोशी की चादर ओढ़कर, बेबसी छुपाना आया है मुझे हमारे दुश्मन अब बहुत की बेकरार रहते हैं.... ✍️रतना कौल भारद्वाज

उनके झूठ पर भी अब यकीन आने लगा, ज्यादातर लोग तो सिर्फ रुतबे का रौब दिखाते हैं... ✍️रतना कौल भारद्वाज


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