Arunima Bahadur
Literary General
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Arunima

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गहन अंधकार है तो चिराग बन जा। चीर तमस को,तू प्रकाश बन जा।। अरुणिमा बहादुर खरे "वैदेही "

है शूल तो क्या राहों में, तू मुस्कुराता बढ़ता चल। अपनी मुस्कुराहट से तू,हर अंधकार मिटाता चल।। अरुणिमा बहादुर खरे "वैदेही"

हाय हाय ये दौलत और प्यारी तेरी शोहरत, कितनी कितनी आकांक्षाएं,कभी भूख न मिटाए। वक्त का भागता पहिया,कहता अब तो है जाना। धरा का ये खजाना,धरा पर ही रह जाना।। अरुणिमा बहादुर खरे "वैदेही"

न जो कोई संग तेरे,चल अकेला। खुद का संग है,अकेले में भी मेला।। अरुणिमा बहादुर खरे "वैदेही"

हर पल जो खुदा के नाम हो जाए। ऐसी हर सुबह और शाम हो जाए।। अरुणिमा बहादुर खरे "वैदेही"

भाग भाग कर जब तू हारे, अंतस को कर लेना भ्रमण। प्रियतम तेरा वहाँ ही विराजे, कर लेना तू दिव्य सा दर्शन।। अरूणिमा बहादुर खरे "वैदेही"

खुशियां, खुशियां तू करे, इत उत भागत जाए। बैठ पल दो पल खुद में , खुशियां मिलने आए।। अरुणिमा बहादुर खरे "वैदेही"

तेरे दिल मे जगह बना न सके। अश्क छिपा कर मुस्कुरा न सके

#तन्हा तन्हा तन्हा है तेरी राहें, चल अकेला तू चल अकेला। गहन अंधकार है,बन प्रकाश तू बढ़ अकेला,बढ़ अकेला।। न कोई संग है,संग ले खुद को,तू चल अकेला,चल अकेला। संघर्ष भरी राहें हैं, विजय पथ तू सजा अकेला,सजा अकेला।। स्वरचित रचना अरुणिमा बहादुर खरे


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