जीवन एक दीपक है, जो जलती है और बूझ जाती है।
स्वाद के लिए व्यक्ति मीठे-मीठे पकवान खाते हैं, लेकिन उसी मीठी जुबान से कई कड़वी बातें भी कह जाता है।
जिन्दगी हैं ग़ुलाब सी। खिलती है और फिर मुरझा जाती है।
दो राहें हैं, ग़ुलाब में फूल और कांटे। ख़ुशी और ग़म।