मातृ भाषा का प्रचार-प्रसार जीवन का लक्ष्य। अपनी लेखनी को जन-जन तक पहुंचाना। "दर्द की व्यथा नहीं,मैं कोई कथा नहीं। धार हूँ तलवार की,मैं कोई शीशा नहीं।। सविता वर्मा "ग़ज़ल"
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