Kunal Meghwanshi
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इश्क के दरिया में किनारा नही होता साथ देने वाले और रहने वाले तो बहुत है पर हर कोई सहारा नही होता

इश्क में उनके मिर्जा गालिब-सा हाल हुआ है बेशक गले तक ना मिले वो हमसे पर उनकी रूह ने बखूबी मेरे दिल को छुहा है

इश्क में उनके मिर्जा गालिब-सा हाल हुआ है बेशक गले तक ना मिले वो हमसे पर उनकी रूह ने बखूबी मेरे दिल को छुहा है

तुमसे ना तो दोस्ती है और ना ही प्यार है फिर क्यों तुमसे बात करने का फितूर मुझपर सवाँर है

नशा नही किया फिर भी मदहोश रहूँगा उसको याद किया है उठाना मत कुछ देर बेहोश रहूँगा

वक़्त के साथ पसन्द बदली जाती है... इश्क़-ऐ-इबादत नहीं...

प्यार में बन्दिश नहीं होती... फिर क्यों तेरी किसी ओर से नजदीकियाँ मुझसे देखी नहीं जाती... मैं लिखता हूँ आजाद परिंदे सा होता है इश्क़... फिर क्यों मुझसे तेरी ये आजादी देखी नहीं जाती...

प्यार में बन्दिश नहीं होती... फिर क्यों तेरी किसी ओर से नजदीकियाँ मुझसे देखी नहीं जाती... मैं लिखता हूँ आजाद परिंदे सा होता है इश्क़... फिर क्यों मुझसे तेरी ये आजादी देखी नहीं जाती...

मैं अपनी परछाई से परेशान होने लगा हूँ उजालो से डरकर अंधेरो में जाने लगा हूँ और ये आँखें बिना कलम के हवाओं में चेहरा बनाने लगी है किसी का और मैं पागल आजकल उस चेहरे से ही बात करने लगा हूँ


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