शायर हूं शायरी से इतिहास लिख दूंगा ,लोग पूजे मेरी शायरी को उनमें इतना विश्वास कर दूंगा
कल तक जिसे भूलना भी मुश्किल था | आज उसे याद करना ही मुश्किल है ||
उतार दूं तुझे कागज पर , ऐसा कोई अल्फाज तो दे ।मिट जाऊं फिर तेरे इश्क में , कमबख्खत् इश्क करने का कोई अंदाज तो दे ।। :-सौरभ बेखबर शायरी-: