Vikas Maurya
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हम वो सूरज नही, जो बादल से डर छिप जाए। हम वो जूगनु है जो अँधेरे में अकेले निकल आते है ।।

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जलती आग को, जो मैंने सुलगता छोड़ दिया । बेलगाम कदमो को, जो मैंने बहकाता छोड़ दिया ।। इतना किया प्यार की पथ्थर दिल मोम हो गया, आज खुशी से इस दिल को पिघलता छोड़ दिया।।


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